Sunday, November 15, 2015

सपनों को सच करने का रास्ता बताती हिन्दी भाषी युवक के सफलता की कहानी मंजिले 7-8


रिजल्ट के तुरन्त बाद ही माँ ने गाँव वापस बुला लिया। पता चला कि पिता की आत्महत्या के लिए प्रशासन और कुछ स्वयं सेवी संस्थाओं ने मदद हेतु आर्थिक सहायता की है। माँ ने गाँव की जमीन भी बेच दी थी। सारे पैसे इकट्ठे कर वह बड़़ी बहन की शादी कर रही थी। दीपक गाँव गया। इस बार आकाश उसके साथ था। दीपक के आगे अब पारिवारिक जिम्मेदारी आर्थिक समस्याएं विकराल रूप धारण किये खड़ी थी।
उस पर दीपक के नम्बर भी कम आये थे। उसे कहाँ नौकरी मिलती। माँ गाँववाले इतनी नफरत करते थे कि वापस लौटने का कोई सवाल ही नहीं था। फिर जमीन तो माँ ने बहन की शादी के लिए बेच दी थी।
दीपक एक बार शहर वापस गया अधूरी ख्वाहिशों को पूरा करने.............. हर कदम आकाश उसका साथ देता था। लेकिन कहते हैं जब मुसीबत आती है, तब चारों ओर से एक साथ आती है। होनी को अभी एक और खेल दीपक के साथ खेलना था। गाँव से जैसे ही दीपक लौटकर आया। रूम का दरवाजा खोला तो देखा एक शादी का कार्ड पड़ा था। दीपक ने जैसे ही वह कार्ड उठाकर पढ़ा। उसके चेहरे का रंग बदल गया। आकाश ने उसके हाथ से लेकर देखा। सोनालिका शर्मा किसी राहुल शर्मा से शादी कर रही थी। आकाश कुछ समझ पाता इससे पहले ही दीपक ने सोनालिका को फोन मिलाया। दीपक के पास ढ़ेरों सवाल थे। सोनालिका ने बड़े ही शांत स्वर में दीपक से बात की और उससे मिलकर सारे सवालों के जवाब देना चाहती थी। कुछ घंटांे बाद सोनालिका और दीपक एक-दूसरे के सामने थे। दीपक की आंखों लाल थी, चेहरा उतरा हुआ और होठों पर एक सवाल था।
‘‘सोना तुम ऐसा क्यों कर रही हो’’
‘‘क्या कर रही हूँ’’ सोनालिका ने पूछा
‘‘शादी’’
‘‘तो क्या गलत कर रही हूँ यार हर लड़की शादी करती है’’
‘‘करती है, मगर प्यार के झूठे वादे किसी और से करके शादी दूसरे से नहीं करती’’ दीपक ने तीखे स्वर में पूछा।
‘‘प्यार के वादे................. मैंने कब कर लिये प्यार के वादे............मैंने किससे आई लव यू कहा.............. बोलो दीपक........ तुम तो मुझे अच्छे से जानते हो.............. बोलो दीपक तुम सरासर मुझपर इल्जाम लगा रहे हो’’ सोनालिका लगातार बोले जा रही थी और दीपक उसका चेहरा देखता रह गया बोला- तुम ऐसे कैसे अपनी बात से पलट सकती हो................ तुमने मुझसे किये हैं प्यार के वादे। क्या आई लव यू कहना ही सबकुछ होता है। क्या तुम्हारा वेलेटाइन डे पर फूल देना, हमेशा मेरा ख्याल रखना........... साथ-साथ घूमना............ हर वक्त की केयर............. चिन्ता.......... वह फोन पर घंटों बातें........... वह देर रात तक मेरे साथ रहना........... क्या वह प्यार नहीं था बोलो सोना क्या वह प्यार नहीं था।’’
‘‘प्यार...... वह तुम्हें प्यार लगा....... तुम भी और जैसे निकले। अरे उस पार्टी में मेरे मन में किसी के प्रति कुछ नहीं था। वह तो बस किसी को फूल देना था तो दे दिया तुम्हें......... तुम उसे प्यार समझ बैठे........ साथ-साथ घूमना, फिल्में देखना, मौज-मस्ती को प्यार नहीं कह सकते। मि. दीपक तुम तो बहुत सयाने निकले मैं तो तुम्हें भोला-भाला इंसान समझती थी। हम दोस्त थे हैं और हमेशा रहेंगे।
मैं मानती हूं कि तुम एक अच्छे इंसान हो............ लेकिन जनाब जीने के लिए पैसा चाहिए। प्यार का बुखार कुछ दिन सिर चढ़कर बोलता है फिर यथार्थ में रोटी-दाल के भाव पता चला जाता है। मैंने तो कुछ भी नहीं किया कोई झूठा वादा नहीं किया।
दीपक चुपचाप सोनालिका की बातें सुन रहा था वह बस इतना ही बोल पाया- ‘‘मत जाओ सोना मैं तुम्हें बहुत चाहने लगा हूं। मैंने बहुत कुछ खोया है, तुम्हें नहीं खो सकता प्लीज सोना मत जाओ।’’
सोनालिका ने गिड़गिड़ाते दीपक के हाथों को अपने हाथों में लिया फिर उन्हें धीरे से दबाती हुयी बोली- ‘‘प्यार सब कुछ नहीं होता जीने को मैं अगर तुमसे प्यार भी करती तो शादी कभी नहीं करती। मेरे खर्चे और जरूरतें तुम पूरे नहीं कर सकते............. परिवारिक सम्पत्ति है, कोई जाॅब यहाँ तक कि रिजल्ट में भी इतने खराब नम्बर आये हैं। तुम्हारे साथ मेरा कोई भविष्य नहीं।
दूसरी तरफ राहुल एक बहुत बड़े चैनल में एडीटर है, अच्छा वेतन, समाज में नाम सबकुछ है उसके पास........... कालेज की सारी बातों को भूल जाओ। यह गलतफहमी किसकी वजह से हुयी इसका अब कोई मतलब नहीं....... मैं नये जीवन की शुरूआत राहुल के साथ कर रही हूं। तुम भी अपने भविष्य के बारे में सोचो.......... मेरी शुभ कामनाएं तुम्हारे साथ हैं।’’ सोनालिका यह कर उठकर चली गयी। दीपक बस उसे जाते हुए देख रहा था। सोनालिका ने एक बार भी मुड़कर दीपक की ओर नहीं देखा।
दीपक खाली हाथ... टूटा दिल लिये वापस लौट आया।
उसके दिमाग में बस एक ही बात घूम रही थी........... प्यार सबकुछ नहींे होता.......... जीने के लिए पैसा भी चाहिए।
दीपक अब बहुत सारा पैसा कमाना चाहता था किसी भी तरह से... किसी भी रास्ते से........ किसी भी हाल में............ उसे खुद को साबित करना था।
कालेज का वह आखिरी दिन था सब अलग-अलग रास्ता चुन रहे थे। आकाश को उसके पापा आगे की पढ़ाई के लिए अमेरिका भेज रहे थे। विजया को एक कम्पनी में जाॅब मिल गयी थी। सोनालिका राहुल के साथ शादी रचाकर हनीमून मनाने के लिए निकल गयी। दीपक के पास अब कोई मंजिल थी...... लौटने का कोई घर............. गाँव से आया एक नौजवान शहर में आकर अपने लक्ष्य से भटक गया। उसे बहुत अफसोस हो रहा था कि क्यों वह भूल गया अपने परिवार और गाँववालों की ख्वाहिशें............ वह तो शहर पढ़ने आया था। अपनी मंजिल से भटका दीपक अब पत्थरदिल बन गया था। उसकी आँखों मे गँाववालों की नफरत, पिता की लाश जाती हुयी सोनालिका की छवि बार-बार उभरती।
उसने भी पैसा-प्रसिद्धि पाने का मन बना लिया। उसने राहुल से भी अमीर बनने का सपना देखा।
सपने को साकार करने के पहले कदम के फलस्वरूप उसने मीडिया कोर्स में एडमीशन लिया।

एक बार फिर नया कालेज नया महौल लेकिन इस बार दीपक घबड़ाया नहीं था। उसे सारे पैतरें शहरी दाँव-पेंच गये थे। रात में उसने एक काॅल सेंटर में पार्ट-टाइम जाॅब खोज लिया। शाम ट्यूशन लेता और दिन में मीडिया क्लास.............सपनों को सच करने का रास्ता बताती हिन्दी भाषी युवक के सफलता की कहानी मंजिले 8

रिजल्ट के तुरन्त बाद ही माँ ने गाँव वापस बुला लिया। पता चला कि पिता की आत्महत्या के लिए प्रशासन और कुछ स्वयं सेवी संस्थाओं ने मदद हेतु आर्थिक सहायता की है। माँ ने गाँव की जमीन भी बेच दी थी। सारे पैसे इकट्ठे कर वह बड़़ी बहन की शादी कर रही थी। दीपक गाँव गया। इस बार आकाश उसके साथ था। दीपक के आगे अब पारिवारिक जिम्मेदारी आर्थिक समस्याएं विकराल रूप धारण किये खड़ी थी।
उस पर दीपक के नम्बर भी कम आये थे। उसे कहाँ नौकरी मिलती। माँ गाँववाले इतनी नफरत करते थे कि वापस लौटने का कोई सवाल ही नहीं था। फिर जमीन तो माँ ने बहन की शादी के लिए बेच दी थी।
दीपक एक बार शहर वापस गया अधूरी ख्वाहिशों को पूरा करने.............. हर कदम आकाश उसका साथ देता था। लेकिन कहते हैं जब मुसीबत आती है, तब चारों ओर से एक साथ आती है। होनी को अभी एक और खेल दीपक के साथ खेलना था। गाँव से जैसे ही दीपक लौटकर आया। रूम का दरवाजा खोला तो देखा एक शादी का कार्ड पड़ा था। दीपक ने जैसे ही वह कार्ड उठाकर पढ़ा। उसके चेहरे का रंग बदल गया। आकाश ने उसके हाथ से लेकर देखा। सोनालिका शर्मा किसी राहुल शर्मा से शादी कर रही थी। आकाश कुछ समझ पाता इससे पहले ही दीपक ने सोनालिका को फोन मिलाया। दीपक के पास ढ़ेरों सवाल थे। सोनालिका ने बड़े ही शांत स्वर में दीपक से बात की और उससे मिलकर सारे सवालों के जवाब देना चाहती थी। कुछ घंटांे बाद सोनालिका और दीपक एक-दूसरे के सामने थे। दीपक की आंखों लाल थी, चेहरा उतरा हुआ और होठों पर एक सवाल था।
‘‘सोना तुम ऐसा क्यों कर रही हो’’
‘‘क्या कर रही हूँ’’ सोनालिका ने पूछा
‘‘शादी’’
‘‘तो क्या गलत कर रही हूँ यार हर लड़की शादी करती है’’
‘‘करती है, मगर प्यार के झूठे वादे किसी और से करके शादी दूसरे से नहीं करती’’ दीपक ने तीखे स्वर में पूछा।
‘‘प्यार के वादे................. मैंने कब कर लिये प्यार के वादे............मैंने किससे आई लव यू कहा.............. बोलो दीपक........ तुम तो मुझे अच्छे से जानते हो.............. बोलो दीपक तुम सरासर मुझपर इल्जाम लगा रहे हो’’ सोनालिका लगातार बोले जा रही थी और दीपक उसका चेहरा देखता रह गया बोला- तुम ऐसे कैसे अपनी बात से पलट सकती हो................ तुमने मुझसे किये हैं प्यार के वादे। क्या आई लव यू कहना ही सबकुछ होता है। क्या तुम्हारा वेलेटाइन डे पर फूल देना, हमेशा मेरा ख्याल रखना........... साथ-साथ घूमना............ हर वक्त की केयर............. चिन्ता.......... वह फोन पर घंटों बातें........... वह देर रात तक मेरे साथ रहना........... क्या वह प्यार नहीं था बोलो सोना क्या वह प्यार नहीं था।’’
‘‘प्यार...... वह तुम्हें प्यार लगा....... तुम भी और जैसे निकले। अरे उस पार्टी में मेरे मन में किसी के प्रति कुछ नहीं था। वह तो बस किसी को फूल देना था तो दे दिया तुम्हें......... तुम उसे प्यार समझ बैठे........ साथ-साथ घूमना, फिल्में देखना, मौज-मस्ती को प्यार नहीं कह सकते। मि. दीपक तुम तो बहुत सयाने निकले मैं तो तुम्हें भोला-भाला इंसान समझती थी। हम दोस्त थे हैं और हमेशा रहेंगे।
मैं मानती हूं कि तुम एक अच्छे इंसान हो............ लेकिन जनाब जीने के लिए पैसा चाहिए। प्यार का बुखार कुछ दिन सिर चढ़कर बोलता है फिर यथार्थ में रोटी-दाल के भाव पता चला जाता है। मैंने तो कुछ भी नहीं किया कोई झूठा वादा नहीं किया।
दीपक चुपचाप सोनालिका की बातें सुन रहा था वह बस इतना ही बोल पाया- ‘‘मत जाओ सोना मैं तुम्हें बहुत चाहने लगा हूं। मैंने बहुत कुछ खोया है, तुम्हें नहीं खो सकता प्लीज सोना मत जाओ।’’
सोनालिका ने गिड़गिड़ाते दीपक के हाथों को अपने हाथों में लिया फिर उन्हें धीरे से दबाती हुयी बोली- ‘‘प्यार सब कुछ नहीं होता जीने को मैं अगर तुमसे प्यार भी करती तो शादी कभी नहीं करती। मेरे खर्चे और जरूरतें तुम पूरे नहीं कर सकते............. परिवारिक सम्पत्ति है, कोई जाॅब यहाँ तक कि रिजल्ट में भी इतने खराब नम्बर आये हैं। तुम्हारे साथ मेरा कोई भविष्य नहीं।
दूसरी तरफ राहुल एक बहुत बड़े चैनल में एडीटर है, अच्छा वेतन, समाज में नाम सबकुछ है उसके पास........... कालेज की सारी बातों को भूल जाओ। यह गलतफहमी किसकी वजह से हुयी इसका अब कोई मतलब नहीं....... मैं नये जीवन की शुरूआत राहुल के साथ कर रही हूं। तुम भी अपने भविष्य के बारे में सोचो.......... मेरी शुभ कामनाएं तुम्हारे साथ हैं।’’ सोनालिका यह कर उठकर चली गयी। दीपक बस उसे जाते हुए देख रहा था। सोनालिका ने एक बार भी मुड़कर दीपक की ओर नहीं देखा।
दीपक खाली हाथ... टूटा दिल लिये वापस लौट आया।
उसके दिमाग में बस एक ही बात घूम रही थी........... प्यार सबकुछ नहींे होता.......... जीने के लिए पैसा भी चाहिए।
दीपक अब बहुत सारा पैसा कमाना चाहता था किसी भी तरह से... किसी भी रास्ते से........ किसी भी हाल में............ उसे खुद को साबित करना था।
कालेज का वह आखिरी दिन था सब अलग-अलग रास्ता चुन रहे थे। आकाश को उसके पापा आगे की पढ़ाई के लिए अमेरिका भेज रहे थे। विजया को एक कम्पनी में जाॅब मिल गयी थी। सोनालिका राहुल के साथ शादी रचाकर हनीमून मनाने के लिए निकल गयी। दीपक के पास अब कोई मंजिल थी...... लौटने का कोई घर............. गाँव से आया एक नौजवान शहर में आकर अपने लक्ष्य से भटक गया। उसे बहुत अफसोस हो रहा था कि क्यों वह भूल गया अपने परिवार और गाँववालों की ख्वाहिशें............ वह तो शहर पढ़ने आया था। अपनी मंजिल से भटका दीपक अब पत्थरदिल बन गया था। उसकी आँखों मे गँाववालों की नफरत, पिता की लाश जाती हुयी सोनालिका की छवि बार-बार उभरती।
उसने भी पैसा-प्रसिद्धि पाने का मन बना लिया। उसने राहुल से भी अमीर बनने का सपना देखा।
सपने को साकार करने के पहले कदम के फलस्वरूप उसने मीडिया कोर्स में एडमीशन लिया।
एक बार फिर नया कालेज नया महौल लेकिन इस बार दीपक घबड़ाया नहीं था। उसे सारे पैतरें शहरी दाँव-पेंच गये थे। रात में उसने एक काॅल सेंटर में पार्ट-टाइम जाॅब खोज लिया। शाम ट्यूशन लेता और दिन में मीडिया क्लास.............


आगे की कहानी आप जानना चाहते है तो मेरा ब्लॉग देखते रहे कथा काल्पनिक है.... मौलिक है किसी से जुड़ाव संयोग मात्र है   
 साधना श्रीवास्तव

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