सपनों को सच करने का रास्ता बताती हिन्दी भाषी युवक के सफलता की कहानी मंजिले 6
यह
कमी तब और अखरने
लगी जब अगले दिन पूरा कालेज प्यार के रंग
में रंगा था। ऐसा लग रहा
था जैसे प्यार का मौसम
छाया हो। सभी जोड़ों में थे, हर
एक के दिल में एक हल्का
गुलाबी एहसास और हाथों
में लाल गुलाब था।
पूरा दिन तो सब
छुपते-छुपाते इजहार-इनकार कर रहे
थे। शाम को आकाश
अपने साथ दीपक को एक
क्लब में ले गया।
दीपक आजतक क्लब नहीं गया था। क्लब की रौनक,
मस्ती और डांस दीपक के लिए
सब नया था। बड़े हाॅल को लाल
और सफेद गुलाबों गुब्बारों और चमकीले
दुपट्टों से सजाया गया था। हल्की धुन में गाना बज रहा
था और माहौल में एक अजीब
खुमारी थी। इस डांस
और मस्ती के बीच
दीपक ने देखा कि कालेज
के अधिकतर लड़के-लड़कियाँ वहाँ थे।
अधिकतर लड़के-लड़कियों ने लाल
कपड़े पहने हुये थे। उस पार्टी
में कई तरह के कम्पटीशन
थे। डांस, ड्रेस, मस्ती व खेल-कूद के इन
कम्पटीशनों
के बीच सबसे आकर्षक कम्पटीशन था मि0
एण्ड मिस0 रोज डे का............
जिसका नियम था कि
वहाँ उपस्थित सभी लड़कियों में जिसे सबसे ज्यादा गुलाब
मिलेंगे वह मिस रोज बनेगी। जिसको मिस रोज गुलाब देगी वह मि.
रोज बनेगा।
आकाश इस कम्पटीशन
को लेकर बहुत उत्साहित था। उसने अकेले विजया को 1501 गुलाब
दिये, विजया ने उसके
प्रस्ताव को दिन में ही स्वीकार
कर लिया था।
आकाश यह अच्छे
से जानता था कि
यदि विजया विजेता बनी तो वह
उसी को गुलाब देगी।
उस कम्पटीशन के इन्तजार
में आकाश विजया ने बहुत
सारे दूसरे कम्पटीशनों में भाग लिया।
दीपक को भी
बहुत मजा आ रहा
था। पहली रात ऐसी थी जब
दीपक किताबो और पारिवारिक
जिम्मेदारियों
से खुद को मुक्त
महसूस कर रहा था। जिन्दगी जीने का यह
नया ढ़ंग जितना शुरू में असहज लग रहा
था, उतना अब उसे
मजा आ रहा था।
काफी
लम्बे इन्तजार के बाद
बारी आ ही गयी।
मि. एण्ड मिस रोज प्रतियोगिता की। प्रतियोगिता का परिणाम
काफी चैकाने वाला रहा। सबसे ज्यादा गुलाब वाली लड़की विजया नहीं मिस सोनालिका शर्मा रही।
सोनालिका
शर्मा को पूरे 1951 गुलाब मिले जबकि विजया को सिर्फ
1750 ही। अब सबकी नजर सिर्फ इस बात
पर थी कि अब
सोनालिका किसको गुलाब देगी। हर लड़का
दिल थाम कर चाह
रहा था कि सोनालिका
उसे गुलाब दे। चाहे भी क्यों
न सोनालिका सर्वगुण सम्पन्न, रति व लक्ष्मी
दोनांे का अनूठा संगम थी। शायद हर लड़का
सोनालिका जैसी पार्टनर पाकर खुद को खुशनसीब
समझता।
सोनालिका
ने सब लड़कों को पीछे
छोड़ते हुए वह गुलाब
दीपक के हाथों में पकड़ा दिया। पूरा हाॅल तालियों की आवाज
से गूँज उठा। दीपक को मि.
रोज चुन लिया था। सोनालिका मुस्कुरा रही थी दीपक
को यकीन नहीं आया कि सोनालिका
उसको चुन सकती है। दीपक के लिये
वह रात बहुत खूबसूरत थी, वह
खुद सबसे अलग, सबसे खास महसूस कर रहा
था। सोनालिका का साथ
पाकर दीपक को अपनी
किस्मत पर यकीन नहीं आया। वह तो
खुद को इस लायक
समझता ही नहीं था, कहाँ
स्मार्ट, सुन्दर, अमीर, तेज-तर्राक सोनालिका और गाँव
का सीधा-साधा दीपक।
उस
दिन के बाद से तो
सभी लड़कों को दीपक
से जलन होने लगी। यहाँ तक कि
आकाश भी दीपक से कुछ
कटा-कटा रहने लगा। दीपक ने यह
सारी बातें सोनालिका से शेयर
की तो सोनालिका ने न
जाने आकाश से क्या
बातें की......... कि आकाश
फिर दीपक के साथ
पहले जैसा पेश आने लगा। समय यूं ही बीतने
लगा। अब कुछ बदलने लगा था दीपक
का ज्यादा समय सोनालिका के साथ
बीतता। तो कभी विजया, आकाश, सोनालिका और बाकी
दोस्तों के साथ फिल्म, पार्टी या क्लबों
में शामें गुजरती। कैसे हास्टल के वार्डन
को बेवकूफ बनाना है या
फिर कैसे झूठ बोलकर काम निकालना है यह
सब दीपक को अच्छी
तरह से आ गया
था। इस बार जब दीपक
गाँव गया तो उसका
बहुत मन न लगा
वह जल्दी ही वापस
शहर आ गया। बस इतना
नया कर दिया कि उसने
अपने बाबा को कुछ
नये लोन बताये जिनके तहत वह खेती
के लिए बीज व चीजें
खरीदी गयी। एक बार
दीपक गाँव वालों का चहेता
बन गया।
गाँव
के सभी लोग दीपक का बहुत
सम्मान करने लगे। देखते-देखते कब 2 वर्ष
बीत गये पता ही नहीं
चला। इधर दीपक पूरी तरह शहरी रंग में रंग गया। उसे बस चारों
ओर सोनालिका नजर आती। उसका मन पढ़ाई
में कम लगने लगा। इस बार
गाँव भी नहीं गया। पहले तो वह
गाँव फोन भी कर
लेता पर धीरे-धीरे वह भी
कम हो गया। जब भी
घर पर बात होती वही समस्याएं, परेशानी थक चुका
था दीपक इन सब
चीजों से........ अब वह
भी अपने हिस्से की जिन्दगी
जीना चाहता था।
नहीं
जाना चाहता था वह
गाँव और न ही
कोई नयी परेशानी उठाना चाहता था। वह तो
सोनालिका के साथ हर पल
रहना चाहता था।
देखते-देखते अन्तिम वर्ष आ गया।
दीपक की परीक्षा सिर पर थी।
पिछले साल के रिजल्ट
में नम्बर आये थे। इसलिए दीपक इस बार
पूरी जी-जान कर परीक्षा
की तैयारी कर रहा
था। उसने पढ़ाई के लिए
रात-दिन एक कर
दिये। उस दोपहर जब दीपक
मेस से खाना खाकर लौटा तो देखा
आकाश बहुत उदास सा बैठा
है। उसने आकाश को इतना
परेशान कभी नहीं देखा था। मजाक के मूड
में दीपक ने आकाश
से पूछा- ‘‘यार तेरे चेहरे पर बारह
क्यों बज रहे हैं ?’’
आकाश
खामोश रहा।
‘‘अब
नाटक मत कर बता
न क्या बात है ?’’
आकाश
की आँखों से दो
बूँद आँसू गिर पड़े। दीपक यह देखकर
बेचैन हो गया............. बेताबी से बोला-
‘‘बता न यार अब तो
मुझे डर लग रहा
मैंने तुझे इतना सीरियस कभी नहीं देखा। बता न क्या
बात है ?’’
आकाश
ने बिना कुछ बोले एक खत
दीपक की ओर बढ़ा
दिया। खत गाँव के मास्टर
साहब का था। जिसमें लिखा था कि
लगातार दो साल तक सूखा
पड़़ने के कारण गाँव में अकाल पड़ गया।
फसल भी खराब हो गयी............
पूरा गाँव भूखमरी की कगार
पर था। गाँव के बहुत
सारे किसान कर्ज के बोझ
मंें भी दबे थे। अतः बहुत से किसानों
ने सामूहिक आत्महत्या कर ली।
उन
किसानों के समूह में एक दीपक
के पिता भी थे।
सरपंच जी ने दीपक
को उनके अन्तिम संस्कार के लिए
गाँव बुलाया था।
दीपक
खत पढ़कर स्तब्ध रह गया।
बिना कुछ बोले ही उसकी
आंखों से आंसू बह निकले।
बार-बार उसे याद आने लगा कि कैसे
उसके पिता उसे बार-बार गाँव बुलाकर कुछ बात करना चाह रहे थे और
वह कैसे हर बार
उनकी बात अनसुनी कर गाँव
न जाने के बहाने
खोज लेता था। जिसके सपने साकार करने वह शहर
आया था उनके दर्द का हिस्सा
भी बन पाया। टूटा.......... थका.......... हारा दीपक जब गाँव
पहुंचा तो सबकी आंखों में उसके लिए नफरत और घृणा
थी। वह माँ की गोद
में सिर रखकर रोना चाहता था लेकिन
माँ ने उसकी सूरत देखने से भी
इनकार कर दिया। जिस दिन वह पिता
को मुखाग्नि देकर लौटा उस दिन
उसकी छोटी बहन उससे लिपट बहुत रोयी थी। बड़ी बहन माँ के पास
थी वह भी अपने
भाई से बहुत नाराज थी।
दीपक
सबसे बात करना चाहता था लेकिन
उसकी बात तक नहीं
सुनना चाहता था। गाँव में लोन की आधी-अधूरी जानकारी देने के बाद
दीपक ने गाँववालों की ओर
मुड़कर भी नहीं देखा। दीपक ने 15 दिन
कैसे गाँव में गुजारे वह ही
जानता था।
पिता
की सारी रस्में पूरी करने के बाद
वह शहर आ गया।
अपने पिता की अधूरी
ख्वाहिशें
पूरी करने के इरादे
से.............
बहुत उदास मन से
परीक्षा दी। लेकिन अब तक
बहुत देर हो चुकी
थी। पूरे साल तो दीपक
मौज-मस्ती ही करता
रहा अपने लक्ष्य से भटक
गया। इस बात का असर
उसके रिजल्ट पर पड़ा।
उसके सारे दोस्त अंग्रेजी और कम्प्यूटर
के जानकार होने के साथ-साथ पैसे वाले भी थे।
सबने कम समय, कम मेहनत
करके...........
इंटरनेट व महंगी किताबों से पढ़कर
दीपक से ज्यादा नम्बर हासिल कर लिये।
दीपक
के इस बुरे वक्त में आकाश ने बहुत
सम्हाला। इस बीच दीपक सोनालिका से नहीं
मिल पाया। बस दो-चार फोन पर ही
बात हो पायी।
आगे की कहानी आप जानना चाहते है तो मेरा ब्लॉग देखते रहे कथा काल्पनिक है.... मौलिक है किसी से जुड़ाव संयोग मात्र है
साधना श्रीवास्तव
👍
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