Tuesday, May 26, 2015

ज़िंदगी धुप छाव का का खेल हो गयी


ज़िंदगी धुप छाव का का खेल हो गयी 
ज़िंदगी धुप छाव का का खेल हो गयी 
जिसमे कभी जीत और हार का मेल  हो गयी 
सुबह के उगते सूरज के साथ हौसलों की शुरुआत की 
 और शाम के डूबते सूरज ने कुछ उदासी वाली शाम दी 
लेकिन तारीफ के काबिल है कुदरत जिसने ये आस दी 
कल रात के बाद फिर सुबह होगी और सूरज की रौशनी से नई शुरुआत होगी
ज़िंदगी धुप छाव का का खेल हो गयी 
जिसमे कभी जीत और हार का मेल  हो गयी 
बारिशो के पानी ने दिल को दिया सकून 
किसी खेत में फसलों की शुरुआत होगी 
और रास्तों ने सिखाया की मुश्किले हो 
उॅचे नीचे हो या समतल  मंजिलो की तलाश कभी तो पूरी होगी 
ज़िंदगी धुप छाव का का खेल हो गयी 
जिसमे कभी जीत और हार का मेल  हो गयी 
 जो प्यार से मिला दोस्ती की शुरुआत हो 
और जो दुशमन बने उनसे नई जंग और चुनौतियों का सामना करने सीख मिल गयी 
ज़िंदगी धुप छाव का का खेल हो गयी 
जिसमे कभी जीत और हार का मेल  हो गयी 

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