Saturday, February 28, 2015

दोहरा चरित्र 68

सूचना के अधिकार पर सेमिनार का आयोजन था। ……। शहर के विदवानो के बीच पूरी जानकारी दी। …………बहुत उत्साह से बताया जनाब ने की सबको जानकारी का हक़ है सरकार और प्रशासन सूचना के अधिकार  तहत हर जानकारी देगी। ……पूरा हाल तालियों से गूंज गया सब प्रसंशा कर रहे थे पुराने दोस्तों से मिलनहुआ  देर रात अचानक उनके फ़ोन की घंटी बजी  घर से  बीबी का फ़ोन था '' सुनते है इतनी रात हो  गयी आप घर कब आयेगे ११ बज गए है''
 गुस्से से उन्ही सज्जन की आवाज ''''  आ जाउगा मर नही गया हर पीछे पड़े रहना कितने सवाल पूछती हो रखो फ़ोन। । बेचारी बीबी सोच रही थी की क्या गलती कर दी उसने जो उसके इसके छोटे से साल पे एक बार फिर वो बेवजह गुस्सा गए। साधना श्रीवास्तव 

Friday, February 27, 2015

क्या जातिवाद कभी भारत से जायेगा आज भी कभी कभी सारे  गुण खत्म हो जाते और सिर्फ जाति के आधार पर लोग पीछे रह जाते। 
डिस्टेंस रेलिशनशिप 67



बिटिया की मुंबई में जॉब लग गयी है। आप बताये भाई साहब आपकी बहु को नौकरी करने दे या मना कर दे…
नेहा के बाबूजी ने उसके होने वाले ससुर जी से पूछा
 जवाब था ये भी कोई पूछने की बात है आजकल नौकरी मिलती कहा है....... अरे  नौकरी करने दे। …अच्छा दोनों रिश्ता और स्पेस दोनों मिल जायेगा। ……आजकल तो जमाना ही डिस्टेंस रेलिशनशिप का है। ……………नेह की सास और  बेटे को भी कोई दिक्कत नही है नेहा से डिस्टेंस रेलिशनशिप रखने 

Wednesday, February 25, 2015

धर्मांतरण 65
पागल हैं इससे दूर रहो। …………। शोर की आवाज़ बेचारी को भंडारे की में घुसने से भी डरा दिया
भूख से बेहाल मन्जिद तक जा पहुंची। पागल हैं.पागल हैं.पागल हैं
एक बार फिर निराशा हो लोट गयी
दूसरे धर्म के ठेकेदारो ने भी बेचारी को भूखा लौटा दिया। ....
 बेचारी अपनी बदकिस्मती पे रोती पानी पी कर सोच रही थी की कल किस धर्माधिकारी के पास जाया जाये जो ये समझे की मानवता नाम की भी कोई चीज होती है जो ये समझे की भूख किसी को पागल कर देती हैं 

Tuesday, February 24, 2015

त्रिकोरीय प्रेम 6 4

मैं आपके बिना नहीं रह सकती हू -रीमा
जी तो मैं भी नही सकता तुम्हारे बिना। ………। क्या करू माँ हमारे रिश्ते को कभी हा नही करेगी -मोहन
 क्या कमी है मुझमे ---------रीमा
जानता हू अच्छी मुझे कोई नही मिलेगी. जितना प्यार तुमने किया कोई नही करेगा। । कोई कमी नही है तुमसे जिससे शादी करोगी बहुत नसीब वाला होगा ---मोहन
फिर क्यों छोड़ रहे हमे अकेले जीने को दुनिआ के लिए....... फिर कुछ सोच कर जाओ मैं कभी नहीं  परिवार से उसका बेटा छीने---रीमा रोते हुए  जानती हू अपनी कमी
ऐसा मत बोलो हमारी जाति एक नहीं सिर्फ कहने को जमाना बदला हैं। …शादी मैं माँ की मर्जी से समाज कोदिखाने को कर लगा  और की होगी हम कभी न मिले कभी पर प्यार तो नही मर सकता और माँ हमारे दर्द को भी समझेगी ना दुनिआ त्रिकोरीय प्रेम  मान देगी -। …--मोहन
सच कहा और जमाना एक बार फिर इस जाति के न मिलने बनाए त्रिकोरीय प्रेम नही समझ पायेगा -रीमा
साधना श्रीवास्तव

Monday, February 23, 2015

इंटरनेट का नशा 63

आज फिर देर हो गयी थी क्या करे सुबह 4 बजे तक तो लैपटॉप में बिटिया कुछ कर रही थी.
माँ ने सोचा कुछ कहना ही बेकार है ओह क्या सोचा समझा था कि बेटी बेटे में फर्क नही करेगी। बेटे को कंप्यूटर क्लास जॉइन करायी तो बेटी भी को अपनी जिद से लैपटॉप दिला  दिया  . अब उनकी सुनता कौन था बेटा घर से बाहर रहता और बिटिया ने घर में ही लैपटॉप को अपनी दुनिआ बना लिया था अकेले ही रसोई में कुछ बना रही थी.
पिता जी ने गुस्से में इंटरनेट और लैपटॉप बनाने वालो पर कटु शब्द बोल कर मन शांत कर लिया था
भाई ने बहना को उपदेश दे डाला इंटरनेट का नशा ठीक नहीं है। …………………………………।
दरवाजे की घंटी बजती हैं। ……
कुरियर वाला गिफ्ट और फूल लेकर दरवाजे पर खड़ा था बेटी ने माँ को गिफ्ट देते हुए कहा जनदिन मुबारक

सारे घरवाले भूल गए थे कि आज माँ का जन्मदिन है. बिटिया देर रात तक माँ के लिए गिफ्ट खोज रही थीं। उसने   ही फेसबुक पर देखा था की लोग रिश्तो से दूर जा रहे और इंटरनेट के  नशे के आदि हो रहे तब ही उसने सोच लिया इंटरनेट का नशा से रिश्तो की दवा कर ली जाये। … ताकि लोग ये जान ले की कोई भी चीज सिर्फ तरीका और इस्तेमाल से अच्छी बुरी बनती है। .... साधना श्रीवास्तव वाराणसी